उदासी उस रात की - भाग -1
रात का हिसाब
माँगने जब चाँद,
आयेगा तुम्हारे पास !
सांसों की गर्म तपिस में
झुलसी वो बिस्तर की
सलवटें कैसे बयाँ कर पाएंगी
गुजरी रात की वो दास्ताँ !
अपलक आँखों से
इन्तजार में गुजार दी
जो तुमने वो रात
अपने चाँद के लिए !!
तुमने तो पढ़ लिए थे,
काम के सभी सूत्र
अपनी आँखों के स्वप्न में !
टूट चुका था बदन
मिलन की कल्पना से,
रह गयी थी शेष
वेदना आछिन्न ह्रदय में !
आया जब चाँद
खिड़की पर तुम्हारी
वह भी कराह उठा,
देख कर उदास रात को !
चला गया वापस
प्रेयसी को उदास पाकर:
डर था उसे कहीं
देर से आने का हिसाब
न देना पड़ जाय उसे !!
उदासी उस रात की - भाग -२
गुमसुम उदास है
तब से यह चाँद;
उस रोज जब
चाँद आया था;
तुम्हारी खिड़की पर!
दरवाजे पर
अपलक ठहरी हुयी
आँखों में पाकर;
किसी की प्रतीक्षा,
ठिठक गया था चाँद;
उस रोज जब
चाँद आया था;
तुम्हारी खिड़की पर!
मानो तुम्हारी तपिस में
झुलस गयी है,
ज्योत्स्ना की स्निग्धता,
और तबसे सुलग
रहा है यह चाँद!
उस रोज जब
चाँद आया था;
तुम्हारी खिड़की पर!
चाँद को अब भी
याद है वह पूनम
जब तुम्हारी आतुरता
और विह्वलता में
हो गयी थी अमावस!
उस रोज जब
चाँद आया था;
तुम्हारी खिड़की पर!
पीला पड़ गया था
वह भोर तक
तुम्हारी प्रतीक्षा की
निष्ठा और मिलन की
उत्कंठा को देख कर!
उस रोज जब
चाँद आया था;
तुम्हारी खिड़की पर!
ठिठक गया था चाँद;
उस रोज जब
चाँद आया था;
तुम्हारी खिड़की पर!
मानो तुम्हारी तपिस में
झुलस गयी है,
ज्योत्स्ना की स्निग्धता,
और तबसे सुलग
रहा है यह चाँद!
उस रोज जब
चाँद आया था;
तुम्हारी खिड़की पर!
चाँद को अब भी
याद है वह पूनम
जब तुम्हारी आतुरता
और विह्वलता में
हो गयी थी अमावस!
उस रोज जब
चाँद आया था;
तुम्हारी खिड़की पर!
पीला पड़ गया था
वह भोर तक
तुम्हारी प्रतीक्षा की
निष्ठा और मिलन की
उत्कंठा को देख कर!
उस रोज जब
चाँद आया था;
तुम्हारी खिड़की पर!
उदासी उस रात की -3
जब ये चाँद
आता है खिड़की पर,
तेरी यादों का
हर मंजर साथ ले आता है !
तुम्हारे संग
गुजरे हर वो पल
बस गये हैं
साँस-साँस में!
ठहरी हुयी सी
लगती है ये सांसें
इन रातों के संग
चाँद भी उदासी का
हर सबब छोड़ जाता है !
जब से तुम चले गये,
यह रोज तुम्हारे इन्तजार में
आता है खिड़की पर,
लेकिन तम्हारा आना
अब केवल कल्पना में ही
सम्भव लगता है!
मन को छूते भाव ... बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंप्यार, मिलना और फिर बिछड़ जाना ..एक गहरी अभिव्यक्ति ...सादर
जवाब देंहटाएंगहरी उदासी का भाव लिए ह्रदय स्पर्शी रचना -बहुत खूब
जवाब देंहटाएंवाह,,बढिया मन को छूती रचना, बधाई।
जवाब देंहटाएंrecent post हमको रखवालो ने लूटा
इंतजार से भरी भावनाएं फुट पड़ी है आज इस एक मात्र ग्वाह चाँद को देख कर :)
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।
न मिलने की उदासी और गवाह चाँद भी ...
जवाब देंहटाएंhttp://urvija.parikalpnaa.com/2012/12/blog-post_18.html
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