सदियों से,
हैवानियत
कर रही तांडव,
इंसानों की शक्ल में
बन कर हैवान !
कब ये दमिनियाँ,
बनेंगी दावानल,
जो निगल जाएँगी
हैवानों की नस्ल;
और,
क्या रोक पाएंगी
इन हैवानों को
फिर से किसी
दामिनी को
इस तरह
जिदगी और समाज से
लड़ते-लड़ते मर जाने से !
हैवानियत
कर रही तांडव,
इंसानों की शक्ल में
बन कर हैवान !
और न जाने
कितनी ही "दमिनियाँ"
स्वाहा होती रहेंगी,
इस हैवान की
हवस में!
कितनी ही "दमिनियाँ"
स्वाहा होती रहेंगी,
इस हैवान की
हवस में!
कब ये दमिनियाँ,
बनेंगी दावानल,
जो निगल जाएँगी
हैवानों की नस्ल;
हर हैवानियत पर
कुछ सहानुभूतियाँ,
क्या मिटा सकती हैं
यह हैवानियत ?
कुछ सहानुभूतियाँ,
क्या मिटा सकती हैं
यह हैवानियत ?
और,
क्या रोक पाएंगी
इन हैवानों को
फिर से किसी
दामिनी को
इस तरह
जिदगी और समाज से
लड़ते-लड़ते मर जाने से !
यही प्रश्न तो उत्तर की प्रतीक्षा कर रहा है ... पर क्या मिल पाएगा कभी सकारात्मक उत्तर ।
जवाब देंहटाएंजो बात आपने कही है वे सब नेतायों के लिए "छोटी छोटी बातें बड़े शहरों में हुआ करती है" कह कर भूल जायेंगे :हम सलाम करते हैं निर्भय को -
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट :निर्भय को श्रद्धांजलि
क्या लिखें मित्र..........? समझ में नहीं आता।
जवाब देंहटाएंजब ये दमिनियाँ, बनेंगी दावानल
जवाब देंहटाएंशायद तब...!
और,
जवाब देंहटाएंक्या रोक पाएंगी
इन हैवानों को
फिर से किसी
दामिनी को,,,,,,इसका इलाज सिर्फ सख्त क़ानून त्वरित न्याय मुझे लगता है,,
recent post : नववर्ष की बधाई
01/01/2013 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही है .... !!
जवाब देंहटाएंआपके सुझावों का स्वागत है .... !!
धन्यवाद .... !
कई दिनों से मैं ब्लॉग की दुनियां से कटा कटा रहा ... तो मैं आपकी पोस्ट पर नही आ पाया ...
जवाब देंहटाएंइस पर सहानुभूतियों से काम नहीं चलेगा ..ये जोश जो दिखा है बरकरार रखना पड़ेगा।
यहाँ पर आपका इंतजार रहेगा: शहरे-हवस