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शब्द ,



शब्द,
ध्वनि व अर्थ में,
रखता है
विलक्षण अस्तित्व .



शब्द,
जीवन व कर्म में
प्रकट करता है
यथार्थ व्यक्तित्व .


शब्द ,
उत्पन्न करता है
अंतर्मन में
संशय -विस्मय .



शब्द ,
हो जाया करता है
प्रायः बहु -अर्थी
गह्वर ,रहस्यमय .



शब्द ,
स्थापित करता है
जाने -अनजाने
कितने ही सम्बन्ध


शब्द ,
विच्छेदित करता है
कितने ही पुराने
किये हुए अनुबंध.



रचनाकाल :- २२ मार्च १९९९ , कोरौना, सीतापुर (उ.प्र.)

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