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यह मधु का प्याला रीत गया,

यह  मधु का प्याला रीत  गया,
अब तो सारा जीवन बीत गया /

मृदु मधु रस की मीठी बातें,
मधुर मिलन की बीती रातें /
लघु जीवन की क्षणिक जीत ,
मन मंजुल का मृदुल गीत /
अब तो बीत वह अतीत गया 
मन से हरा मन जीत गया
यह  मधु का प्याला रीत  गया,
अब तो सारा जीवन बीत गया /

वे अपने सारे छूट गये ,
वे सपने सारे टूट गये /
जीवन के इस करुण मोड़ पर ,
रही पथ पर निठुर छोड़ कर /
जाने कहाँ मेरा मीत गया ,
रह आज अधूरा गीत गया /
यह  मधु का प्याला रीत  गया,
अब तो सारा जीवन बीत गया /

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मतलब का मतलब......

 मतलब की दुनिया है-जानते सभी हैं, फिर भी यहाँ मतलब निकालते सभी हैं। अपनापन एक दिखावा भर है फिर भी, जाहिर भले हो लेकिन जताते सभी हैं। झूठी शान -ओ-शौकत चंद लम्हों की है, ये जानते हुए भी दिखाते सभी हैं। नहीं रहेगी ये दौलत सदा किसी की,  जमाने में पाकर इठलाते सभी हैं। मौत है मुत्मइन इक न इक दिन आएगी, न जाने क्यूँ मातम मनाते सभी हैं।

बेख्याली

न जाने किस ख्याल से बेख्याली जायेगी; जाते - जाते ये शाम भी खाली जायेगी। गर उनके आने की उम्मीद बची है अब भी, फिर और कुछ दिन  मौत भी टाली जायेगी। कुछ तो मजाज बदलने दो मौसमों का अभी, पुरजोर हसरत भी दिल की निकाली जायेगी। कनारा तो कर लें इस जहाँ से ओ जानेजां, फिर भी ये जुस्तजू हमसे न टाली जायेगी । कि ख्वाहिश है तुमसे उम्र भर की साथ रहने को, दिये न जल पाये तो फिर ये दिवाली  जायेगी।

स्त्री !

चाणक्य ! तुमने कितनी , सहजता से कर दिया था; एक स्त्री की जीविका का विभाजन ! पर, तुम भूल गये! या तुम्हारे स्वार्थी पुरुष ने उसकी आवश्यकताओं और आकाँक्षाओं को नहीं देखा था! तुम्हें तनिक भी, उसका विचार नही आया; दिन - रात सब उसके तुमने अपने हिस्से कर लिए! और उसका एक पल भी नहीं छोड़ा उसके स्वयं के जीवन जीने के लिए!