दूर तक;
न अत्न का प्रकाश
न राग की किरण!
पूर्ण भू पर
निशा का प्रभास;
न आशा की किरण!
व्योमोहित
गति मंद
व्यथित अंतर्मन!
आक्रांत उर
मति कुंद,
श्रांत विच्छिप्त तन !
न भविष्य का
पथ आलोकित;
न जीवन का आधार!
न उर में उमंग;
अपुल्कित मन,
न कोई कर्म आभार!
न कोई लक्ष्य;
जीवन में न विश्वास!
अर्थ हीन श्रम;
निष्प्राण- निः श्वास !
न कोई लक्ष्य;
जवाब देंहटाएंजीवन में न विश्वास!
अर्थ हीन श्रम;
निष्प्राण- निः श्वास !
बहुत खूब सर!
सादर