मुझे मालूम है
नहीं हो सकती तुम मेरी !
उम्र भर यादों के सहारे,
जीने का असफल प्रयास
करोगी तुम!
लेकिन घर, समाज और
झूठे सिद्धांतों का
प्रतिरोध करने की
हजार कोशिशों बाद भी
हिम्मत न जुटा पाओगी !
और मै
तुम्हारा इन्तजार
करते-करते,
आखिरी सांस को
पीछे छोड़ने में
लगा हूँ !
यह प्रेम
कितना क्रूर है
जो दो जिंदगियों को
किश्तों में जीने को
मजबूर कर देता है!
या शायद:
मैं तुम्हारे मिथ्या
प्रेम को यथार्थ
मान कर सब कुछ
समर्पित करता चला गया!
जिसे तुमने एक
रेत के घरोंदे सा
मानकर स्मृतियों से
मिटा दिया !
?
या शायद:
जवाब देंहटाएंमैं तुम्हारे मिथ्या
प्रेम को यथार्थ
मान कर सब कुछ
समर्पित करता चला गया!
जिसे तुमने एक
रेत के घरोंदे सा
मानकर स्मृतियों से
मिटा दिया !
yah ek soch ho sakta hai
New post कृष्ण तुम मोडर्न बन जाओ !
उदास से मन की भावभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंभावों की सुंदर अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंshabdo ka sundar Sanyojan...
जवाब देंहटाएंhttp://ehsaasmere.blogspot.in/2013/01/blog-post_26.html
gantanr diwas ki badhaii
जवाब देंहटाएंरेत के घरोंदे सा...........इसमें रेत के की जगह रेत का करें।
जवाब देंहटाएंमानकर स्मृतियों से
मिटा दिया !
पीड़ित प्रेमाभिव्यक्ति।
बहुत सुंदर रचना,भावों की उम्दा अभिव्यक्ति,,,
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
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