तोड़ दो सपनो की दीवारे,
मत रोको सृजन के चरण को ,
फैला दो विश्व के वितान पर,
मत टोको वर्जन के वरण को !
जाने कितनी आयेंगी मग में बाधाएँ,
कहीं तो इन बाधाओं का अंत होगा ही .
कौन सका है रोक राह प्रगति की ,
प्रात रश्मियों के स्वागत का यत्न होगा ही !
प्रलय के विलय से न हो भीत,
तृण- तृण को सृजन से जुड़ने दो
नीड़ से निकले नभचर को
अभय अम्बर में उड़ने दो,
जला कर ज्योति पुंजों को ,
हटा दो तम के आवरण को ,
तोड़ दो सपनो की दीवारे,
मत रोको सृजन के चरण को!
?
nice expression
जवाब देंहटाएं"तोड़ दो सपनों की दीवारें
जवाब देंहटाएंमत रोको सृजन के चरणों को " बहुत सुन्दर और भावपूर्ण पंक्तियाँ |
आशा
जला कर ज्योति पुंजों को ,
जवाब देंहटाएंहटा दो तम के आवरण को ,
तोड़ दो सपनो की दीवारे,
मत रोको सृजन के चरण को!
बहुत ही भावमय करते शब्द ...
बहुत सुंदर भावमय उम्दा प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंrecent post: मातृभूमि,
बहुत सुन्दर.....नयापन लिए हुए कविता।
जवाब देंहटाएंसृजन के चरणों की सुन्दर पदचाप.
जवाब देंहटाएंबोधगम्य सृजन ...अन्तर्निहित भावों को मुखरित करते हुए प्रवाहमयी .....
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जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 17-01-2013 को यहाँ भी है
.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
.. आज की नयी पुरानी हलचल में ...फिर नया दिनमान आया ......संगीता स्वरूप
. .
achchi rachana
जवाब देंहटाएंतेज-ओज से परिपूर्ण आह्वान। सुन्दर अलंकृत शब्द चयन। सार्थक रचना। पहली बार आना हुआ आपके ब्लॉग पर। बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएं~ मधुरेश
सुन्दर कविता...बिलकुल सही कहा है सृजन की निरंतरता बनी रहनी चाहिए.
जवाब देंहटाएंजला कर ज्योति पुंजों को ,
जवाब देंहटाएंहटा दो तम के आवरण को ,
तोड़ दो सपनो की दीवारे,
मत रोको सृजन के चरण को!
बहुत सुंदर भावमय प्रस्तुति
New post कुछ पता नहीं !!! (द्वितीय भाग )
New post: कुछ पता नहीं !!!
बहुत सुंदर सोच! बहुत सुंदर अभिव्यक्ति! यही सकारात्मकता ही प्रगति का मूल मंत्र है...
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
प्रलय के विलय से न हो भीत,
जवाब देंहटाएंतृण- तृण को सृजन से जुड़ने दो
नीड़ से निकले नभचर को
अभय अम्बर में उड़ने दो,
भाव मय ... सृजन की रह खोजती ...
nice expression.
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