जिन्दगी है एक धूप छाँव सी;
पल-पल बदले शहर गाँव सी!
कभी मिल जाते मीठे पल,
कभी याद आते बीते कल;
हंसाती , रुलाती, गुदगुदाती;
कभी दुखती है जिन्दगी घाव सी;
जिन्दगी है एक धूप छाँव सी;
कभी अपने भी पराये हो जाते,
कभी पराये भी अपने हो जाते!
जश्न मानती है जिन्दगी कभी;
तो कभी डगमगाती है नाव सी;
जिन्दगी है एक धूप छाँव सी;
अनजानी राहों से है गुजरती ;
तो कभी ठहराव लाती जिन्दगी!
जिन्दगी के हैं कई रंग-रूप:
है ये जिन्दगी एक बहाव सी ;
जिन्दगी है एक धूप छाँव सी;
कभी सुबह की लाली है तो
कभी लगती है उदास शाम सी;
चलते-चलते चली जाती है;
यह तो बस है एक पड़ाव सी,
जिन्दगी है एक धूप छाँव सी;
पल-पल बदले शहर गाँव सी!
?
जिन्दगी पर सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही...जिन्दगी है एक धूप छाँव सी
जवाब देंहटाएंलाजबाब भाव अभिव्यक्ति ,,,,
जवाब देंहटाएंrecent post: कैसा,यह गणतंत्र हमारा,
बहुत प्यारी रचना है |उम्दा अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंआशा
bahut sunder abhivyakti
जवाब देंहटाएंZindagi rangon se bni h aur kuch rang fike bhi hote hain...
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना है............
जवाब देंहटाएंज़िंदगी
जवाब देंहटाएंज़िंदगी
चाक सी
जो चलते
चलते
होती जाती
छोटी और
छोटी अन्त
में हमारी
पकड़ में
नहीं रह जाती www.aloktiwari.org