जीना चाहते हो!
क्या जीने की
जिजीविषा
शेष है तुममें
या समयपूर्व
मर चुकी है !!
जब तुमें
संवेदनाओं की
अनुभूति ही
नहीं होती तो
फिर जीवन और
मृत्यु में
क्या अंतर शेष है?
फिर क्यों जीना
चाहते हो !
पर अफ़सोस
हर कोई जीवन की
जिजीविषा में
जीवन को
लक्ष्य हीन बना कर
मृत प्राय हो गया है !
न जाने कब
पल-दो-पल का ही
लक्ष्य पूर्ण जीवन
जी पायेगा ये
भ्रमित मनुष्य !
न जाने कब
जवाब देंहटाएंपल-दो-पल का ही
लक्ष्य पूर्ण जीवन
जी पायेगा ये
भ्रमित मनुष्य !
......................प्राय: ये अनुभूति सभी संवेदनशील लोगों को होती है। बहुत अच्छा प्रयास।
सच कहा आपने आज मनुष्य सच में भ्रमित है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
न जाने कब
जवाब देंहटाएंपल-दो-पल का ही
लक्ष्य पूर्ण जीवन
जी पायेगा ये
भ्रमित मनुष्य !
वास्तविकता को दिखती सुंदर रचना |
जीवन के सही रूप को दर्शाती
जवाब देंहटाएंबहुत कहीं गहरे तक उतरती कविता ------बधाई