सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

जिजीविषा जीवन की !


जीना चाहते हो!
क्या जीने की 
जिजीविषा 
शेष है तुममें 
या समयपूर्व 
मर चुकी है !!


जब तुमें 
संवेदनाओं की 
अनुभूति ही 
नहीं होती तो 
फिर जीवन और 
मृत्यु में 
क्या अंतर शेष है?
फिर क्यों जीना 
चाहते हो !

पर अफ़सोस 
हर कोई जीवन की 
जिजीविषा में
जीवन को 
लक्ष्य हीन बना कर
मृत प्राय हो गया है !

न जाने कब 
पल-दो-पल का ही 
लक्ष्य पूर्ण जीवन 
जी पायेगा ये 
भ्रमित मनुष्य !

टिप्पणियाँ

  1. न जाने कब
    पल-दो-पल का ही
    लक्ष्य पूर्ण जीवन
    जी पायेगा ये
    भ्रमित मनुष्य !
    ......................प्राय: ये अनुभूति सभी संवेदनशील लोगों को होती है। बहुत अच्‍छा प्रयास।

    जवाब देंहटाएं
  2. सच कहा आपने आज मनुष्य सच में भ्रमित है ...
    सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  3. न जाने कब
    पल-दो-पल का ही
    लक्ष्य पूर्ण जीवन
    जी पायेगा ये
    भ्रमित मनुष्य !

    वास्तविकता को दिखती सुंदर रचना |

    जवाब देंहटाएं
  4. जीवन के सही रूप को दर्शाती
    बहुत कहीं गहरे तक उतरती कविता ------बधाई

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मुझे स्त्री ही रहने दो

मैं नहीं चाहूंगी बनना देवी मुझे नहीं चाहिए आठ हाथ और सिद्धियां आठ।   मुझे स्त्री ही रहने दो , मुझे न जकड़ो संस्कार और मर्यादा की जंजीरों में। मैं भी तो रखती हूँ सीने में एक मन , जो कि तुमसे ज्यादा रखता है संवेदनाएं समेटे हुए भीतर अपने।   आखिर मैं भी तो हूँ आधी आबादी इस पूरी दुनिया की।

अमरबेल

ये जो कैक्टस पर दिख रही है अमरबेल , जानते हो यह भी परजीवी है ठीक राजतन्त्र की तरह।   लेकिन लोकतंत्र में कितने दिन पनप सकेगी ये अमरबेल , खत्म होगा इसका भी अमरत्व आखिर एक दिन

"मेरा भारत महान! "

सरकार की विभिन्न  सरकारी योजनायें विकास के लिए नहीं; वरन "टारगेट अचीवमेंट ऑन पेपर" और  अधिकारीयों की  जेबों का टारगेट  अचीव करती हैं! फर्जी प्रोग्राम , सेमीनार और एक्सपोजर विजिट  या तो वास्तविक तौर पर  होती नहीं या तो मात्र पिकनिक और टूर बनकर  मनोरंजन और खाने - पीने का  साधन बनकर रह जाती हैं! हजारों करोड़ रूपये इन  योजनाओं में प्रतिवर्ष  विभिन्न विभागों में  व्यर्थ नष्ट किये जाते हैं! ऐसा नहीं है कि इसके लिए मात्र  सरकारी विभाग ही  जिम्मेवार हैं , जबकि कुछ व्यक्तिगत संस्थाएं भी देश को लूटने का प्रपोजल  सेंक्शन करवाकर  मिलजुल कर  यह लूट संपन्न करवाती हैं ! इन विभागों में प्रमुख हैं स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा; कृषि, उद्यान, परिवहन,  रेल, उद्योग, और भी जितने  विभाग हैं सभी विभागों  कि स्थिति एक-से- एक  सुदृढ़ है इस लूट और  भृष्टाचार कि व्यवस्था में! और हाँ कुछ व्यक्ति विशेष भी व्यक्तिगत लाभ के लिए, इन अधिकारीयों और  विभागों का साथ देते हैं; और लाभान्वित होते है या होना चाहते ह