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उनका आना कुछ यूँ हुआ................

उनका आना कुछ यूँ हुआ,
मेरे दिल से फिर वो जा न सके!

गये वो, न जाने कहाँ होंगे;
मगर दिल को हम समझा न सके!

जाने वाला कब आया लौटकर;
खुद को ये हकीकत बता न सके!

खुली आँखों से देखे थे ख़्वाब;
बिखरे जो फिर उन्हें सजा न सके!

थी उन्हें तिजारत लफ़्ज़ों की;
मगर लबों से हम जता न सके!

उनका आना कुछ यूँ हुआ,
मेरे दिल से फिर वो जा न सके!

टिप्पणियाँ

  1. कल 12/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर ..
    उनका आना कुछ यूँ हुआ
    मेरे दिल से फिर वो जा न सके !
    सादर अभिनन्दन !!!

    जवाब देंहटाएं
  3. खूब लिखा है यादें तो दिल में बस ही जाती हैं

    जवाब देंहटाएं

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