टूटी खाट पर
टूटे हुए बदन में
आहें भरता हुआ,
ये तुम्हारा 'भारत -महान !
जिसके हर एक
हिस्से का टार्चर
करते हुए तथा कथित
नेता - कर्णधार !
ब्यभिचार और
व्यापार में जिनका
कोई सानी नहीं!
वोटों के लिए
बेच देते हैं सरकार को ;
और महंगाई की मार से
देश को कर देते लाचार !
मंदिर के चढ़ावे का
देकर ठेका ,भगवान को
भी कर देते नीलाम !
साथ में देश की
अडिग श्रृद्धा भी हो
जाती कंगाल !
और देश के आधार रुपी
ढांचे को अपने दलालों के
हांथों में देकर ,नहीं छोड़ते
बैसाखी लायक !
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