आजादी मिली नहीं,
छीन कर दिया है
या कहें कि
मोल चुकाया है
देकर अपना जीवन
लुटा कर अपनी
खुशियाँ और
अपना चैन -ओ- अमन !
लेकिन कुछ पल
याद कर लेना
उनकी शहादत ,
चुका दिया हमने
उनके अनमोल
जीवन की कीमत !
भूल जाते हैं हम
आज गुजर रहा है जो
ये जैसा भी जीवन ,
क्या रहकर गुलाम
जी पाते ,और रह पाते
सुरक्षित और सम्पन्न !
अरे याद कर लेने भर से
नही बची रह पायेगी
ये दी हुयी उनकी
आजादी की धरोहर !
हमें भी करना होगा कुछ
जिससे बची रहे
ये आजादी और
कर सकें कुछ सुरक्षित
भारत का निर्माण !
आज जो नन्हा भारत
जन्मा है इस धरा पर
जी पायेगा इस
जीर्ण- क्षीर्ण समाज
की वीभत्स संरचना में !
बचा लो इस अपनी
जन्मभूमि को जो
आज भी तरसती आँखों से
और दयनीयता से
आसरा लगाये हुए है
अपने जवान बेटों से !
जननी और जन्मभूमि
जीवन में हैं सबसे महत्त्व पूर्ण
हमें इनकी सेवा तन, मन
और सम्पूर्ण समर्पण से
करनी होगी!
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