किसे ढूंढते हैं,
ये सूने नयन ?
स्मृतियों में क्यों,
हो रहे विह्वल ,
किस हेतु उन्मीलित,
हैं ये अविरल /
स्पंदन हीन हृदय ,
औ नीरद अयन
किसे ढूंढते हैं,
ये सूने नयन ?
अछिन्न श्वासें
ढोकर ये जीवन,
भ्रमित भटका
कोलाहल, कानन/
कब मिलेगा मुझे,
वह चिर शयन!
किसे ढूंढते हैं,
ये सूने नयन ?
श्रांत हो चली अब,
ये आहत सांसें ,
होगा कब मिलन
पूर्ण होंगी आशें!
अपूर्ण रहा कुछ शेष ,
है अपूर्ण मिलन !
किसे ढूंढते हैं,
ये सूने नयन ?
बहुत सुंदर भाव .... शब्दों का चयन बहुत खूबसूरत है ....
जवाब देंहटाएंbahut badhiya shodon ka samagam...dhnywad kabhi samay mile to mere blog http://pankajkrsah.blogspot.com pe padharen swagat hai
जवाब देंहटाएंशब्दों और भावों का बहुत सुन्दर संयोजन...बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंभावमय रचना !
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