सरकार की विभिन्न सरकारी योजनायें विकास के लिए नहीं; वरन "टारगेट अचीवमेंट ऑन पेपर" और अधिकारीयों की जेबों का टारगेट अचीव करती हैं! फर्जी प्रोग्राम , सेमीनार और एक्सपोजर विजिट या तो वास्तविक तौर पर होती नहीं या तो मात्र पिकनिक और टूर बनकर मनोरंजन और खाने - पीने का साधन बनकर रह जाती हैं! हजारों करोड़ रूपये इन योजनाओं में प्रतिवर्ष विभिन्न विभागों में व्यर्थ नष्ट किये जाते हैं! ऐसा नहीं है कि इसके लिए मात्र सरकारी विभाग ही जिम्मेवार हैं , जबकि कुछ व्यक्तिगत संस्थाएं भी देश को लूटने का प्रपोजल सेंक्शन करवाकर मिलजुल कर यह लूट संपन्न करवाती हैं ! इन विभागों में प्रमुख हैं स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा; कृषि, उद्यान, परिवहन, रेल, उद्योग, और भी जितने विभाग हैं सभी विभागों कि स्थिति एक-से- एक सुदृढ़ है इस लूट और भृष्टाचार कि व्यवस्था में! और हाँ कुछ व्यक्ति विशेष भी व्यक्तिगत लाभ के लिए, इन अधिकारीयों और विभागों का साथ देते हैं; और लाभान्वित होते है या होना चाहते ह
नहीं थकती तो जिजीविषा .... यह कविता एक गंभीर चिंतन है .
जवाब देंहटाएंधीरेन्द्र भाई
जवाब देंहटाएंइस गम्भीर कविता को पढ़ कर समझना मेरे बस में नहीं
इसे साथ ला जा रहीं हूँ नई-पुरानी हलचल में
मिल-बैठ कर पढ़ेंगे सभी इसी शनिवार 15-9 को
आप भी आइये न... अपनी पूर्व परिचित नई-पुरानी हलचल में
इसी शनिवार 15-9 को
सादर
यशोदा
जिजीविषा ही नहीं थकनी चाहिए ..... सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंयह जिजीविषा ही तो उसकी शक्ति है ...सुन्दर और गहन !
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना !
जवाब देंहटाएंवो मंज़िल क्या..जिसे पाने को..
पैरों के छाले फूटे ना....
इस यात्रा को यूं चलते ही रहना है,जीवन की यही नियति है।
जवाब देंहटाएंसादर
सच, हम सभी अनंत यात्रा के यात्री हैं
जवाब देंहटाएंएकदम आध्यात्मिक । अनंत की और अनंत यात्रा के साथी ।
जवाब देंहटाएंयथार्थमय सुन्दर पोस्ट
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