अँधेरे में भी चाहते हो ,
साथ दे तुम्हारा साया
जब स्वयं का
अस्तित्व
नही जान पाए
साया तो एक भ्रम है !
जब तुम्हारा
स्वयं का
विश्वास तुम्हे ही
नहीं स्वीकार कर पा
रहा है !
किसी अन्य का अस्तित्व
तुम्हे कैसे सह्य होगा !
परन्तु
आशाओं के समक्ष
यह अदना सा विश्वास !
वायु के हल्के से झोंके में
डिगने लगता है !
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